1. श्री जम्भेष्वर भगवान (जाम्भोजी)

जाम्भोजी का जन्म सन् 1451 ई० में नागौर जिले के पीपासर नामक गाँव में हुआ था। ये जाति से पंवार राजपूत थे। इनके पिता का नाम लोहाट जी और माता का नाम हंसा देवी ( केशर ) था । ये अपने माता – पिता की इकलौती संतान थे। अत: माता – पिता उन्हें बहुत प्यार करते थे।जाम्भोजी बाल्यावस्था से मौन धारण किये हुए थे ।तत्पश्चात् उनका साक्षात्कार गुरु से हुआ। उन्होंने सात वर्ष की आयु से लेकर 27 वर्ष की…

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जांभाणी साहित्य अकादमी

साहित्य समाज का दर्पण व दीपक होता है इसलिए साहित्य की महत्ता में कहा गया है ” अन्धकार है वहां , जहां आदित्य नहीं है मुर्दा है वह देश, जहाँ साहित्य नहीं है ! ” आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा है कि जिस जाति के पास साहित्य नहीं होता, वह बर्बर हो जाती है। इन उक्तियों का अभिप्राय यह है कि वह राष्ट्र व समाज अत्यन्त भाग्यशाली है जिसके पास साहित्य रूपी धन है। भारत में साहित्य की महत्ता…

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श्री गुरू जम्भेश्वर मन्दिर सोनडी बाड़मेर

श्री गुरू जम्भेश्वर मन्दिर सोनडी बाड़मेर जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दुर यहाँ वर्ष मैं तीन बार मेला भरता है ! फाल्गुन , चैत्र , व भाद्रपद की अमावस्या को ! ये मालाणी बाहुल्य का सबसे बड़ा मन्दिर है

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शब्द 80

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *जे म्हां सूता रैन बिहावै* एक समय की बात है कि कूनौज वासी कई बिश्नोई गुरु जंभेश्वर के पास समराथल आये और एक मखमली बिछौना गुरु महाराज को भेंट किया तथा कहा कि यह इतना मुलायम है कि इस पर सोने से,ऐसी गहरी नींद आयेगी कि आप जल्दी से जाग भी नहीं पायेंगे।श्रद्धालु भक्तों की भोली बात सुन गुरु महाराज ने उन्हें यह शब्द कहा:- *जे म्हां सुता रैण बिहावै बरते बिम्बा बारुं* हे भोले भक्तों!यदि हम सो जावें…

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शब्द 81

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *भल पाखंडी पाखंड मंडा* एक दूर देश का रहने वाला साधु,जाम्भोजी की महिमा सुन बीकानेर राज्य का ठिकाना पूछता हुआ,पीपासर के पास धुंपालिये गाँव पहुँचा।जब उक्त साधु ने उस गाँव में जाम्भोजी का पता ठिकाना पूछा, तो एक महिला ने बताया कि वे कोई देव पुरुष नहीं है, बल्कि एक पाखंडी है।महिला की बात सुन वह दूर देश का वासी बड़ा दुखी हुआ।उस साधु की ह्रदय पीड़ा जान गुरु महाराज ने अपना आदमी भेज, उसे समराथल पर बुलाया और…

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शब्द 82

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 *अलख अलख तूं अलख न लखणा* पूर्वोत्तर प्रसंगानुसार! जब उस आगंतुक साधु ने गुरु जंभेश्वर महाराज से शब्द सुना तो उसे जाम्भोजी के विषय में ज्ञान हुआ तथा उसने उस ग्रामीण महिला के प्रति कुछ कटु शब्द कहे,तब गुरु महाराज ने उसे कड़वे शब्द न बोलने के लिए तथा ब्रह्म की एकता एवं अद्वेतता के संबंध में यह शब्द कहा:- *अलख अलख तू अलख न लखना मेरा अनन्त इलोलूं।* हे भक्त! तुम बड़े भोले हो। अलख,अलख है,उसे कोई कैसे…

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