Me Jisko Pranaam kru
Read MoreMe Jisko Pranaam kruनौरंगी का भात
Read Moreनौरंगी का भातन्यू भजन डॉक्टर मधु
Read Moreन्यू भजन डॉक्टर मधुमुक्तिधाम मुकाम
Read Moreमुक्तिधाम मुकाम1. गुरु जाम्भोजी बाल लीला-काल
गुरु जाम्भोजी सामान्य मनुष्य नहीं थे। वे तो साक्षात् ईश्वर थे। इसलिए गुरु जाम्भोजी ने जन्म से ही अपनी अलौकिक शक्ति का परिचय देना प्रारम्भ कर दिया था। जन्म के बाद गांव की कोई भी स्त्री बालक को जन्म घूंटी देने में सफल नहीं हो सकी। जैसे ही स्त्रियां बालक को जन्म घूंटी पिलाने लगी, वैसे ही उन्हें बालक के कई मुख दिखाई देने लगे। इससे वहां उपस्थित सभी स्त्रियों को बड़ा आश्चर्य हुआ। वे कुछ भी खाते-पीते नहीं थे।…
1. गुरु जाम्भोजी का अवतार
राजस्थान में मरूभूमि का नागौर, नागौरी बैलों के लिए पूरे देश में प्र्सिद है। यह पहले एक परगना था और इस समय एक जिला है। नागौर से पच्चास किलोमीटर उतर में पीपासर नामक गांव है। यह गांव अत्यन्त प्राचीन है। पीपासर पहले की तरह आज भी रेत के टीलों से घिरा हुआ है। इसी गांव में किसी समय रोलोजी पंवार रहते थे। वे जाति से राजपूत थे और कृषि कार्य करते थे। रोलोजी पंवार के दो पुत्र एवं एक पुत्री…
फतेहाबाद बिश्नोई मंदिर
Read Moreफतेहाबाद बिश्नोई मंदिर1. Shree Guru Jambheshwar Ji
सिर साटै ई रूंख रहै तौई सस्तौ जाण श्री जांभोजी महाराज जाम्भोजी का जन्म नागौर परगने के पीपासर ग्राम में हुआ था। उनकी जन्म तिथि भाद्रपद वदी अष्टमी, सोमवार, कृतिका नक्षत्र में विक्रमी 1508 में हुआ था। इनकी माता हाँसादेवी (केसर नाम भी मिलता है) छापर के यादववंशी भाटी मोहकम सिंह की पुत्री थी। पिता लोहटजी पंवार (परमार) राजपूत और सम्पन्न किसान थे। जाम्भोजी के दादा रोळौजी अथवा रावळजी प्रसिद्ध व्यक्ति थे। उनके दो पुत्र थे – लोहटजी और पूल्होजी।…
जाजीवाल धोरा
Read Moreजाजीवाल धोराशब्द वाणी ऑडियो
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2. श्री जम्भेष्वर भगवान के परम शिश्य स्वामी विल्होजी
श्री जम्भेष्वर भगवान के परम शिश्य स्वामी विल्होजी ने कहा है – जीव दया नित राख पाप नहीं कीजिए । जांडी हिरणं संहार देख सिर दीजिए। बिशनोई समाज ने अपने धर्मगुरू की इन बातों की पालना बखूबी की है और आवष्यकता पडने पर अपनी जान तक देने में पीछे नहीं हआ है । आज के इस भौतिक चकाचौंध के युग में जहां भाई को भाई के लिए समय नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर बिशनोई समाज आज भी इन निरीह मूक…
3. परम पुज्य स्वामी भागीरथदास जी आचार्य
परम पुज्य स्वामी भागीरथदास जी आचार्य जम्भ वाणी के 120 शब्दों के हवन उपरान्त जम्भेश्वर भगवान की आरती करते हुए पुज्य स्वामी भागीरथदास जी आचार्य के चरणो मे बार बार प्रणाम . निवण बड़ी संसार में नहीं नीवे सो नीच नीवं नदी रो रूंखड़ो, रेवे नदी रे बीच नींवे जो आमा आमली, नीवं दाड़म दाख इरंड बिचारा क्या करे जांरी अ ओछी कहीजे साख