19577032 1359171104204184 6016417322945327990 o

आरती कीजे गुरू जम्भ जती की

आरती कीजे गुरू जम्भ जती की,भगत उधारण प्राण पति कीपहली आरती लोहट घर आये,बिन बादल प्रभु इमिया झुराए।दूसरी आरती पींपासर आये, दूदा जी नें प्रभु परचो दिखाए।तीसरी आरती समराथल आए, पूला जी नें प्रभु स्वर्ग दिखाए।चैथी आरती अनूवे निवाए, बहुत लोग प्रभु पवित्र कहाए।पांचवीं आरती ऊधो जन गावे, सो गावे अमरापुर पावे।

Read Moreआरती कीजे गुरू जम्भ जती की
Mandir

कूं कूं केरा चरण पधारो गुरू जम्भदेव, साधु जो भक्त थारी आरती करे।

कूं कूं केरा चरण पधारो गुरू जम्भदेव, साधु जो भक्त थारी आरती करे। जम्भ गुरू ध्यावे सो सर्व सिद्धि पावे, सन्तों क्रोड़ जन्म केरा पाप झरे। हृदय जो हवेली मांही रहो प्रभु रात दिन, मोतियन की प्रभु माला जो गले। कर में कमण्डल शीश पर टोपी नयना मानों दोय मसाल सी जरे। कूं कूं केरा चरण पधारो गुरू जम्भदेव…………………। सोनेरो सिंहासन प्रभु रेशम केरी गदियां, फूलांहांदी सेज प्रभु बैस्यां ही सरै। प्रेम रा पियाला थानें पावे थारा साधु जन,मुकुट छत्र…

Read Moreकूं कूं केरा चरण पधारो गुरू जम्भदेव, साधु जो भक्त थारी आरती करे।
Mandir

साखी साच तूं मेरा सांई, अवर न दूजा कोई

साच तूं मेरा सांई, अवर न दूजा कोई।1।जिण आ उमति उपाई, सिरजण हारो सोई।2।साचा सेती सन्मुख, दुमना सेती दोई।3।खालक सूं छाने कित, छिन कीजै चोरी।4।भगवत नै सब सूझै, गढ़ दरवाजा मोरी।5।किहिंका मइया बाबो, किहिंका बहण र भाई।6।सब देखंता चाल्या, काहु की कछु न बसाई।7।हंसा उड़ चाल्या, जब बेलड़िया कुम्हलाई।8।हंसा उडण की बारी, सुकरत साथ सगाई।9।किण ही सुगरे मोमण ने, बांधी सत की पाली।10।आवैलो जब खोजी, लेलों खोज निकाली।11।कोड़ी पांच पार पहोंता, जां की धार करारी।12।कोड़ी सात पार पहोंता, हरिचंद सा…

Read Moreसाखी साच तूं मेरा सांई, अवर न दूजा कोई
Jambhguru

साखी विष्णु बिसार मत जाइरे प्राणी, तो शिर मोटो दावो जीवनैं।

विष्णु बिसार मत जाइरे प्राणी, तो शिर मोटो दावो जीवनैं।टेर।दिन-दिन आव घटंती जावै, लगन लिख्यो ज्यूं साहो जीवनैं।काला केश कलाहल आयो, आयो बुग बधावो जीवनैं।गढ़ पालटियो कांय न चेत्यो, घाती रोल भनावे जीवनैं।ज्यों ज्यों लाज दुनि की लाजै, त्यौं त्यौं दाब्यो दावौ जीवनै।भलियो हुवे सो करे भलाई, बुरियो बुरी कमावै जीवनैं।दिन को भूल्यो रात न चेत्यो, दूर गयो पछतावो जीवनैं।गुरू मुख मूरखा चढ़ै न पोहण, मन मुख भार उठावे जीवनैं।धन को गरब न कर रे प्राणी, मत धणियां नें भावे…

Read Moreसाखी विष्णु बिसार मत जाइरे प्राणी, तो शिर मोटो दावो जीवनैं।
Guruji3

29 Principles of Bishnoi religion in English

1. Thirty days to be observed in seclusion after the delivery by a woman. 2. Five days to be observed in seclusion during the menses by a woman. 3. Taking daily bath early morning. 4. Maintaining calm and patience. 5. Maintaining cleanliness, inside and outside. 6. Taking meditation each morning and evening. 7. Worshipping Lord Vishnu every evening. 8. Always speak the truth. 9. Perform yajna daily. 10. Drink clean and filtered water. 11. Be soft while speaking. 12. Clean…

Read More29 Principles of Bishnoi religion in English
Jambhoji

साखी-1 तारण हार थलासिर आयो, जे कोई तिरै सो तिरियो जीवने

तारण हार थलासिर आयो, जे कोई तिरै सो तिरियो जीवने।टेर। जे जीवड़ै रो भलपण चाहो, सेवा विसन जी री करियो। मिनखा देही पड़ै पुराणी, भले न लाभै पुरियो। मत खीण्य जुण्य पड़ पुंणेरी, वले नै लहिस्यो परीयो। अड़सठ तीर्थ एक सुभ्यागत, घर आये आदरियो। देवजी री आस विसन जी री संपत, कूड़ी मेर न करियो। उनथ नाथ अनवी निवाया, भारथ ही अण करियो। रावां सुं रंक रंके राजिन्दर, हस्ती करै गाडरियो। उजड़ बासा बसै उजाड़ा, शहर करै दोय घरियो। रीता…

Read Moreसाखी-1 तारण हार थलासिर आयो, जे कोई तिरै सो तिरियो जीवने
12313922 432161296977053 9098080390876336959 n

बिश्नोई समाज के 29 नियम

1.तीस दिन सूतक तीस दिन तक प्रसूता स्त्री को गृह कार्य से पृथक रखना चाहिये। उन्नतीस नियमों में यह पहला नियम है। मानव के शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक विकास की यही नींव है। यहीं से माानव जीवन प्रारम्भ होता है। यदि यह प्रारम्भिक काल ही बिगड़ जायेगा तो फिर आगे मानवता का विकास कैसे हो सकेगा। शायद दुनियां में प्रथम बार ही जम्भेश्वरजी ने यह तीस दिन सूतक का नियम बतलाया है। वैसे सूतक मानते तो सभी हैं किन्तु तीस…

Read Moreबिश्नोई समाज के 29 नियम
Khej

खेजङली बलिदान

जोधपुर जिले से लगभग 25 किलोमीटर दूर दक्षिण में प्रकृति के आंचल में बसा खेजङली गांव यहां हुए पर्यावरण यज्ञ के लिए प्रसिद्ध है जिसे यहां के श्रेष्ठ मनुष्यों ने अपने शरीर की यज्ञाहुति देकर सफल बनाया। यहां वृक्ष रक्षार्थ बिश्नोईयों ने अहिंसात्मक रूप से आत्मोसर्ग किया, यह बलिदान सन् 1730 (विक्रम संवत् 1787) में हुआ। जब जोधपुर के राजा अभयसिंह नये महल के निर्माण का निर्णय लिया तो चुने को पक्काने हेतु लकड़ियोँ की आवश्यकता पड़ी तब राजा ने…

Read Moreखेजङली बलिदान
12313922 432161296977053 9098080390876336959 n

29 Rules

तीस दिन सूतक, पांच ऋतुवंती न्यारो। सेरा करो स्नान, शील सन्तोष शूचि प्यारो। द्विकाल संध्या करो, सांझ आरती गुण गावो। होम हित चित प्रीत सूं होय, बास बैकुंठा पावो। पाणी बाणी ईधणी दूध, इतना लीजे छाण। क्षमा दया हिरदे धरो, गुरू बतायो जाण। चोरी निन्दा झूठ बरजियो, बान न करणो कोय। अमावस्या व्रत राखणो, भजन विष्णु बतायो जोय। जीव दया पालणी, रूंख लीलो नहीं घावे। अजर जरे जीवत मरे, वे वास स्वर्ग ही पावे। करे रसोई हाथ सूं, आन सूं…

Read More29 Rules