

साखी-1 तारण हार थलासिर आयो, जे कोई तिरै सो तिरियो जीवने
तारण हार थलासिर आयो, जे कोई तिरै सो तिरियो जीवने।टेर। जे जीवड़ै रो भलपण चाहो, सेवा विसन जी री करियो। मिनखा देही पड़ै पुराणी, भले न लाभै पुरियो। मत खीण्य जुण्य पड़ पुंणेरी, वले नै लहिस्यो परीयो। अड़सठ तीर्थ एक सुभ्यागत, घर आये आदरियो। देवजी री आस विसन जी री संपत, कूड़ी मेर न करियो। उनथ नाथ अनवी निवाया, भारथ ही अण करियो। रावां सुं रंक रंके राजिन्दर, हस्ती करै गाडरियो। उजड़ बासा बसै उजाड़ा, शहर करै दोय घरियो। रीता…

बिश्नोई समाज के 29 नियम
1.तीस दिन सूतक तीस दिन तक प्रसूता स्त्री को गृह कार्य से पृथक रखना चाहिये। उन्नतीस नियमों में यह पहला नियम है। मानव के शारीरिक, मानसिक तथा बौद्धिक विकास की यही नींव है। यहीं से माानव जीवन प्रारम्भ होता है। यदि यह प्रारम्भिक काल ही बिगड़ जायेगा तो फिर आगे मानवता का विकास कैसे हो सकेगा। शायद दुनियां में प्रथम बार ही जम्भेश्वरजी ने यह तीस दिन सूतक का नियम बतलाया है। वैसे सूतक मानते तो सभी हैं किन्तु तीस…

खेजङली बलिदान
जोधपुर जिले से लगभग 25 किलोमीटर दूर दक्षिण में प्रकृति के आंचल में बसा खेजङली गांव यहां हुए पर्यावरण यज्ञ के लिए प्रसिद्ध है जिसे यहां के श्रेष्ठ मनुष्यों ने अपने शरीर की यज्ञाहुति देकर सफल बनाया। यहां वृक्ष रक्षार्थ बिश्नोईयों ने अहिंसात्मक रूप से आत्मोसर्ग किया, यह बलिदान सन् 1730 (विक्रम संवत् 1787) में हुआ। जब जोधपुर के राजा अभयसिंह नये महल के निर्माण का निर्णय लिया तो चुने को पक्काने हेतु लकड़ियोँ की आवश्यकता पड़ी तब राजा ने…

29 Rules
तीस दिन सूतक, पांच ऋतुवंती न्यारो। सेरा करो स्नान, शील सन्तोष शूचि प्यारो। द्विकाल संध्या करो, सांझ आरती गुण गावो। होम हित चित प्रीत सूं होय, बास बैकुंठा पावो। पाणी बाणी ईधणी दूध, इतना लीजे छाण। क्षमा दया हिरदे धरो, गुरू बतायो जाण। चोरी निन्दा झूठ बरजियो, बान न करणो कोय। अमावस्या व्रत राखणो, भजन विष्णु बतायो जोय। जीव दया पालणी, रूंख लीलो नहीं घावे। अजर जरे जीवत मरे, वे वास स्वर्ग ही पावे। करे रसोई हाथ सूं, आन सूं…

Me Jisko Pranaam kru
Read MoreMe Jisko Pranaam kru
नौरंगी का भात
Read Moreनौरंगी का भात
न्यू भजन डॉक्टर मधु
Read Moreन्यू भजन डॉक्टर मधु
मुक्तिधाम मुकाम
Read Moreमुक्तिधाम मुकाम
1. गुरु जाम्भोजी बाल लीला-काल
गुरु जाम्भोजी सामान्य मनुष्य नहीं थे। वे तो साक्षात् ईश्वर थे। इसलिए गुरु जाम्भोजी ने जन्म से ही अपनी अलौकिक शक्ति का परिचय देना प्रारम्भ कर दिया था। जन्म के बाद गांव की कोई भी स्त्री बालक को जन्म घूंटी देने में सफल नहीं हो सकी। जैसे ही स्त्रियां बालक को जन्म घूंटी पिलाने लगी, वैसे ही उन्हें बालक के कई मुख दिखाई देने लगे। इससे वहां उपस्थित सभी स्त्रियों को बड़ा आश्चर्य हुआ। वे कुछ भी खाते-पीते नहीं थे।…

1. गुरु जाम्भोजी का अवतार
राजस्थान में मरूभूमि का नागौर, नागौरी बैलों के लिए पूरे देश में प्र्सिद है। यह पहले एक परगना था और इस समय एक जिला है। नागौर से पच्चास किलोमीटर उतर में पीपासर नामक गांव है। यह गांव अत्यन्त प्राचीन है। पीपासर पहले की तरह आज भी रेत के टीलों से घिरा हुआ है। इसी गांव में किसी समय रोलोजी पंवार रहते थे। वे जाति से राजपूत थे और कृषि कार्य करते थे। रोलोजी पंवार के दो पुत्र एवं एक पुत्री…

फतेहाबाद बिश्नोई मंदिर
Read Moreफतेहाबाद बिश्नोई मंदिर
1. Shree Guru Jambheshwar Ji
सिर साटै ई रूंख रहै तौई सस्तौ जाण श्री जांभोजी महाराज जाम्भोजी का जन्म नागौर परगने के पीपासर ग्राम में हुआ था। उनकी जन्म तिथि भाद्रपद वदी अष्टमी, सोमवार, कृतिका नक्षत्र में विक्रमी 1508 में हुआ था। इनकी माता हाँसादेवी (केसर नाम भी मिलता है) छापर के यादववंशी भाटी मोहकम सिंह की पुत्री थी। पिता लोहटजी पंवार (परमार) राजपूत और सम्पन्न किसान थे। जाम्भोजी के दादा रोळौजी अथवा रावळजी प्रसिद्ध व्यक्ति थे। उनके दो पुत्र थे – लोहटजी और पूल्होजी।…