
जाम्भाणी संत सूक्ति
परमानन्दजी वणियाल जो करता सोइ भोग्यता, आडो आवत सोय। अपणौ कीयो भोगवै, हरि कूं दोस न कोय। भावार्थ जीव जैसा कर्म करता है वैसा ही उसे फल मिलता है, अपने बुरे कर्मों का फल भोगते समय भगवान को दोष नहीं देना चाहिए।






बिश्नोई भजन सोमवती अमावस्या पर बढ़िया बिश्नोई भजन
वीडियो न्यूज़ की टेस्टिंग की जा रही है यह फीचर आज लांच किया जाएगा | धन्यवाद्

🌺 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌺
परमानन्दजी वणियाल विष वेली अपणै कर वाहै,इम्रत फल कैसे पाई।करै जका लेखा हरि मांगै,जदि जीवड़ो पछताई भावार्थ अपने हाथ से जहर की बेल बोई है तो उसके अमृत फल कहां से लगेंगे।जीवन भर पापकर्मों में रत रहने के बाद मरणोपरांत सद्गति की इच्छा करना बेकार है।किये हुए कर्मों का हिसाब जब भगवान लेता है तो पापी जीव बहुत पछताता है।

प्रकाश बिश्नोई को गोल्ड मैडल
यह रंग यूँ ही नहीं है हवाओं में घुले है इसमें मेहनत के मोती भी…. हौसला जब आसमां सा हो तो शिखर को छूआ जा सकता है। इसी हौसले , लग्न और निष्ठा के बूते सूर्यनगरी जोधपुर के एकलखोरी गाँव के निवासी प्रकाश बिश्नोई ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर से बी ए ( ओनर्स) इतिहास में पहली वरीयता हासिल की। उनकी इस उपलब्धि पर जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के 15 वें दीक्षान्त समारोह में उन्हें गोल्ड मैडल दिया गया। उन्हें…

खिलते पुष्प : निरिक्षा बिश्नोई भारतीय नेवी ऑफिसर
परिचय राजस्थान के जिले के छोटे से गांव मैनांवाली की 24 साल की निरिक्षा बिश्नोई नेवी में ग्रुप वन गजटेड आॅफिसर सिलेक्ट हुई हैं। निरिक्षा देश की 23 वुमन कैडेट के साथ 22 नवंबर को पास आउट हुई है। नेवी में लड़कियों का बतौर कमिशन ऑफिसर शामिल होना बड़ी चुनौती है, लेकिन निरिक्षा ने इस चैंलेज को एक्सेप्ट कर यह अचीवमेंट हासिल किया। निरिक्षा के पिता एसबी बिश्नोई इस वक्त नागालैंड में आर्मी में कर्नल हैं। लड़कों के साथ भी…

राव करीजै रंक
अल्लूजी कविया ” राव करीजै रंक,रंकासिर छत्र धरीजै।अल्हू आस वैसे सार,आस कीजै सिंवरीजै।चख लहै अंध पंगा चलण,मौनी सिधायक वयण।तो करता कहा न होय,नारायण पंकज नयण। भावार्थ ‘ राजा को रंक तथा रंक को राजा करने वाला,अंधे को आंख देने वाला,पंगू को चलाने वाला, गूंगे को वाणी प्रदान करने वाला कमलनयन नारायण हरि सर्वशक्तिमान है।वे ही मूल है, उन्हीं की आशा करनी चाहिए और उन्हीं का स्मरण करना चाहिए।’

🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸
🌸 जाम्भाणी संत सूक्ति 🌸 “देखण के दिन दोय छबीला, जिसा काच का सीसा। यो तन मोती ओस का, तुम क्युं न भजो जगदीसा। -(उदोजी अड़ींग)-भावार्थ-‘ यह शरीर कांच के शीशे की तरह नाजुक और ओस की बूंद की क्षणभंगुर है। ऐसे अल्पकालिक जीवन को पाकर तुम भगवान का भजन क्यों नहीं करते? 🙏 -R. K.🙏



