1. गुरु जाम्भोजी का अवतार

गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।

राजस्थान में मरूभूमि का नागौर, नागौरी बैलों के लिए पूरे देश में प्र्सिद  है। यह पहले एक परगना था और इस समय एक जिला है। नागौर से पच्चास किलोमीटर  उतर में पीपासर नामक गांव है। यह गांव अत्यन्त प्राचीन है। पीपासर पहले की तरह आज भी रेत के टीलों से घिरा हुआ है। इसी गांव में किसी समय रोलोजी पंवार रहते थे। वे जाति से राजपूत थे और कृषि कार्य करते थे। रोलोजी पंवार के दो पुत्र एवं एक पुत्री थी। बड़े पुत्र का नाम लोहटजी एवं छोटे पुत्र का नाम पूल्होजी था। पुत्री का नाम तांतू देवी था। लोहटजी का विवाह हांसा देवी के साथ हुआ था। हांसा देवी छापर गांव के मोहकम सिंह भाटी की बेटी थी। तांतू देवी का विवाह फलोदी के पास ननेउळ गांव में हुआ था। कालान्तर में पूल्होजी ने लाडनूं गांव में रहना प्रारम्भ कर दिया था और लोहटजी पीपासर में ही रहते थे। कृषि एवं पशुपालन लोहटजी का मुख्य व्यवसाय था। वे धार्मिक किस्म  के व्यक्ति थे और गांव के सबसे धनवान व्यक्ति थे। सज्जनता एवं धार्मिक पर्व्र्ति  के कारण गांव के लोग उनका सम्मान करते थे। लोहटजी हर कठिन स्थिति में लोगों की सहायता के लिए तैयार रहते थे। भौतिक सुख के सभी साधन होने के उपरान्त भी लोहट जी सुखी नहीं थे क्योंकि उनके कोई सन्तान नहीं थी। इसी कारण वे प्रायः चिन्तित एवं दुःखी रहते थे। आयु बढ़ने के साथ-साथ ही उनकी यह चिन्ता एवं दुःख भी बढ़ता जा रहा था। वर्तमान की तरह ही उस समय भी मरूभूमि में भयंकर अकाल पड़ते थे। अकाल के समय लोग अपने गांव को छोड़कर, अपने पशुओं को साथ  लेकर दूसरे गांव जहां सुकाल होता था वहां चले जाया करते थे और सुकाल होने पर अपने गांव वापिस लौटते थे। इसी तरह का एक भयंकर अकाल सम्वत् 1507 में पीपासर में पड़ा था। उस अकाल से सभी लोग घबरा गए थे। गांव में चारे एवं पानी का अभाव हो गया था। अकाल में पशुधन का बचना कठिन हो रहा था। बहुत से लोग तो इधर-उधर चले गये थे। कुछ लोगों ने लोहटजी से कहीं चलने की प्रार्थना की। लोगों की प्रार्थना सुनकर लोहट जी र्ने द्रोणपुर   चलने की योजना बनाईर्।द्रोणपुर  में उस समय अच्छी वर्षा हो चुकी थी। सभी तालाब जल से भर गये थे और पशुओं के लिए पर्याप्त घास हो गई थी। इस तरह गांव के पशुधन को बचाने के उद्देश्य से लोहटजी इच्छुक व्यक्तियों एवं पशुओं को अपने साथ लेकर्र द्रोणपुर पहुंचे।द्रोणपुर  में रहते हुए लोहटजी को कई दिन व्यतीत हो गये थे। इसी बीच वहां और भी वर्षा हो गई द्रोणपुर के सभी लोग फसल बोने की तैयारी करने लगे। उसी समय एक दिर्न द्रोणपुर का जोधा जाट हलौतिया ;खेती का प्रारम्भद्ध करने के लिए घर से रवाना हुआ। गांव से बाहर निकलते ही उन्हें सामने से लोहटजी आते हुए दिखायी दिये। लोहट जी को देखकर जोधा जाट ने अपने मन में सोचा कि सामने से निपूता आ रहा है। इस समय निपूते व्यक्ति का मिलना बहुत ही अपशकुन है। खेत में बीज डालना व्यर्थ है। यही सोचकर जोधा जाट ने अपनी बैलगाड़ी वापस मोड़ ली। लोहटजी ने पास आकर जोधा जाट से गाड़ी वापस मोड़ने का कारण पूछा। इस पर जोधा जाट ने कहा कि ‘निपूते के दर्शन हो गये हैं, इसलिए इस वर्ष खेतों में अनाज का एक दाना भी नहीं होगा और भयंकर अकाल पड़ेगा।’ यह कहकर जोधा जाट अपने घर को रवाना हो गया। लोहटजी वहीं खड़े-खड़े सोचने लगे कि उनका जीवन कितना निरर्थक है। कोई उनके दर्शन भी नहीं करना चाहता। इसी तरह अपने मन में दुःखी होकर उन्होंने घने जंगल में जाकर तपस्या प्रारम्भ कर दी। यहां तक कि उन्होंने अन्न-जल ग्रहण करना भी बन्द कर दिया। उनकी तपस्या से प्रभावित होकर भगवान ने उन्हें दर्शन दिये। उसी समय भगवान ने लोहटजी को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया और कहा कि वे स्वयं ही उनके घर पुत्र रूप में
अवतरित होंगे। उसी समय भगवान नें योगी के रूप में हांसा को दर्शन दिये।भगवान ने हांसा को आशीर्वाद दिया कि तुम्हारे पुत्र होगा, जो महान योगी वअवधूत होगा। इसी आशीर्वाद के परिणाम स्वरूप पीपासर में सम्वत् 1508 की भादो वदि अष्टमी सोमवार को लोहट जी के घर गुरु जाम्भोजी का अवतार हुआ। गुरु जाम्भोजी के पिता का नाम लोहटजी एवं माता का नाम हांसा देवी था। हांसा देवी का दूसरा नाम केसर भी प्रचलित रहा है।
गुरु जाम्भोजी के सम्पूर्ण जीवन को चार कालों में बांटा गया है:-
1. बाललीला-काल
2. पशुचारण-काल
3. पंथ- पर्वर्तन काल
4. ज्ञानोपदेश-काल
इस तरह गुरु जाम्भोजी ने सात वर्ष बाल लीला में बिताए। सताईस वर्ष तक पशु चराए और चैंतीस वर्ष की अवस्था में बिश्नोई पंथ का पर्वर्तन  किया। पंथ पर्वर्तन  से लेकर बैकुण्ठवास तक के इक्यावन वर्ष गुरु जाम्भोजी के ज्ञानोपदेश में ही व्यतीत हुए।

गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।

Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
Articles: 799

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *