लुप्त होती परम्परा

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लुप्त होते पहनावे व परम्पराएं:–
लगभग 1970 के दशक तक आधे हिसार, आधे भिवानी, फतेहाबाद व सिरसा या यूं कहें कि Old Hisar District में महिलाओं का यह पहनावा था तथा गांवों / घरों में नल नहीं थे। पानी कूओं, तालाबों, डीगिओं, नहरों या हैंडपंपों से लाया जाता था। सुबह शाम पनघट का समय होता था। पूरे गांव की औरतों के लिए आपस मे मिलने, बतियानें व नई नई ड्रैसिस पहनने का सुनहरा अवसर होता था। सिर पर मटके या टोकनी में दूर से पानी लाना, एक दिन में दस दस मटके पानी लाना हालांकि मुश्किल व थका देने वाला होता था। परन्तु सहेलियों के साथ के कारण उन्हें यह बिलकुल भी कठिन व दुष्कर नहीं लगता था। अक्सर औरतें सिर पर पानी का भरा मटका उठाये बिछुड़न वाले नुक्कड़ पर 10-15 मिनट तक बातें करती रहती थी।
अब घरों में नल लगने से सुख सुविधाएं तो बढ़ी है किंतु सामाजिकता, मिलना जुलना, मेल जोल, प्रेम प्यार में कमी आई है और पनघट बग़ैरा केवल पुस्तकों में रह गए हैं।
Any how keep social distancing, wear masks; stay inside and keep yourself safe. Jai Hind Jai Haryana.

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Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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