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पिता की मौत के बाद मां ने मजदूरी कर पढ़ाया 👩👦👦, दोनों बेटे बने डॉक्टर 🙏
राजस्थान के जोधपुर जिले की फलौदी तहसील के गांव सांवरीज निवासी विमला देवी इन दिनों बड़ी खुश है। गर्व से चेहरे का नूर बढ़ा हुआ है। गौरवान्वित करने वाली बात यह है कि इनके दोनों बेटे चन्द्रमोहन व अशोक विश्नोई डॉक्टर बन गए हैं। एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट से कोचिंग लेकर बड़े बेटे अशोक ने 2013 में नीट में 4000वीं रैंक प्राप्त की और वर्तमान में आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर में फाइनल इयर के साथ इंटर्नशिप कर रहा है। वहीं छोटे बेटे चन्द्रमोहन ने नीट-2018 में 2011वीं रैंक प्राप्त की। विमला देवी का सपना पूरा हो गया, जीवन का संघर्ष काम आ गया।
विमला ने बताया कि इन बच्चों के पिता शंकरलाल सेवानिवृत्त फौजी थे, लेकिन आठ साल पहले सड़क दुर्घटना में उनका निधन हो गया। ऐसे में परिवार की पूरी जिम्मेदारी मुझ पर आ गई। संकल्प लिया कि कैसे भी कर दोनों बेटों को पढ़ा-लिखाकर पैरों पर खड़ा करना है। पति की मामूली पेंशन से घर का खर्चा चल जाता था, लेकिन बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए पैसों की व्यवस्था चुनौती थी। दोनों बेटे फलौदी के सरकारी विद्यालय में पढ़े। मैं तो निरीक्षर हूं, ज्यादातर समय तबियत ठीक नहीं रहती, बावजूद इसके मैंने हिम्मत नहीं हारी, बच्चों की पढ़ाई में जोड़ा हुआ धन खर्च तो हुआ ही, इसके साथ ही मैंने अन्य खर्चों के लिए दिहाड़ी मजदूरी करना शुरू किया। कोटा में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट की भी बहुत मदद मिली, चन्द्रमोहन की फीस तो आधी से भी ज्यादा कम कर दी। संस्थान ने दोनों बच्चों की प्रतिभा एवं आर्थिक स्थिति को देखते हुए फीस में रियायत दी। इससे मेरा बहुत हौसला बढ़ा, बच्चों की पढ़ाई और मेरी मेहनत साथ-साथ चले।
अभी तक कर्जा
चन्द्रमोहन ने बताया कि मां ने मेहनत कर पहले 2013 में ब्याज पर पैसा उधार लेकर बड़े भाई अशोक को पढ़ाया। अब उसकी मेडिकल की पढ़ाई पूरी होने को है। पांच साल बीत जाने के बाद भी कर्जा पूरा नहीं चुका। फिर 2017 में मुझे कोटा पढ़ने भेजा। आर्थिक तंगी थी, मां ने नरेगा में मजदूरी भी की। इस दौरान एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट ने मेरी प्रतिभा और पारिवारिक स्थिति देखते हुए आधी से अधिक फीस की रियायत दी जो कि बड़ी मदद साबित हुई और मुझे पढ़ने का हौसला मिला। अभी भी मां पिता की पेंशन व हालात से संघर्ष कर जैसे-तैसे कर्जा उतारने का जतन कर रही है। गांव में तीन बीघा जमीन है। यदि बारिश हो गई तो पेट भरने जितना बाजरा पैदा हो पाता है, अन्यथा अनाज की व्यवस्था भी इधर-उधर से करनी पड़ती है। हम दोनों भाई गांव के पहले डॉक्टर हैं। बड़े भाई अशोक आरएनटी मेडिकल कॉलेज उदयपुर से एमबीबीएस अंतिम वर्ष का छात्र है और इन दिनों इंटर्नशिप कर रहा है। वहीं मेरा एडमिशन भी बीकानेर मेडिकल कॉलेज में हो चुका है।
डॉक्टर की मां हूं, बस उतर गया कर्जा
मां विमला देवी ने बताया कि दोनों बेटों को कर्जा लेकर पढ़ने भेजा था। आज एक बेटा डॉक्टर बन गया और दूसरा पांच साल बाद बन जाएगा। जब लोग कहेंगे कि ‘देखो, डॉ. अशोक, डॉ. चन्द्रमोहन की मां आ रही है’, तो उस सुख के सामने कर्जा कुछ नहीं। कर्ज तो उतर जाएगा।
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अभावों में पल रही प्रतिभाओं को आगे लाना लक्ष्य
एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट सदैव अभावों में पल रही प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए प्रयासरत रहा है। गांव-ढाणी के ये बालक जब डॉक्टर और इंजीनियर बनते हैं तो एक परिवार ही नहीं वरन पूरे गांव की तस्वीर बदलती है। ग्रामीण क्षेत्र के निर्धन परिवारों की प्रतिभाओं को आगे आने की प्रेरणा मिलती है। – नवीन माहेश्वरी, निदेशक, एलन कॅरियर इंस्टीट्यट
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