जांभाणी संत कवियों की वाणी

गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।

🌸जांभाणी संत कवियों की वाणी🌸

नीगम अभ्यास नीस दिन करत,गुर गम नही उजास।
सबद ज भेद जासै उरया,सतगुर प्रेम प्रगास॥१॥
-(परमानंद जी बणिहाल)

शब्दार्थ–
निगम–शास्त्र, विवेचनात्मक ज्ञान विषय ग्रंथ।
अभ्यास–किसी कार्य को बार-बार करना।
नीस दिन–२४ घंटे, निरंतर, लगातार, हमेशा, हर समय अहोरात्र।
गुर–जो अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले कर जाए।
गम–शिक्षा।
नही–नही।
उजास–प्रकाश, रोशनी।
सबद–वाक्य,बोल,शब्द।
–का।
भेद–रहस्य,किसी बात के अंदर छुपा हुआ तत्व।
जासै–उनको,उनका।
उरया–उजागर, दीप्तिमय,प्रकट उत्पन्न।
सतगुर–सच्चा पथ प्रदर्शक, सच्चा रहनुमा।
प्रेम–स्नेह,प्रेम, प्रीति, अनुराग लगाव।
प्रगास–प्रकाश,उजाला,रोशनी/ प्रकटीकरण/प्रादुर्भाव।

सरलार्थ–चाहे रात दिन शास्त्रों का अध्ययन कर लो लेकिन फिर भी गुरु की शिक्षा के बिना ज्ञान का प्रकाश नहीं होता। सतगुरु के आशीर्वाद से ही जीव और ब्रह्म का रहस्य उजागर होता है। और सतगुरु की कृपा से ही समस्त जीवो के प्रति समानता और प्रेम का प्रकटीकरण होता हैं।

🙏🏼–(विष्णुदास)

गूगल प्ले स्टोर से हमारी एंड्रॉइड ऐप डाउनलोड जरूर करें, शब्दवाणी, आरती-भजन, नोटिफिकेशन, वॉलपेपर और बहुत सारे फीचर सिर्फ मोबाइल ऐप्प पर ही उपलब्ध हैं धन्यवाद।

Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
Articles: 799

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *