आचार विचार और शब्दवाणी

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निवण प्रणाम जी👏
आज की चर्चा अपने आचार-विचार व्यवहार को लेकर हैैं।

कुड़ तणो जे करतब कियो
ना तै लाभ न सायो भूला प्राणी आल बखाणी

झूठ का सहारा लेकर तुम यदि कोई भी कार्य करोगे तो उससे तुम्हे कोई प्राप्ति नही होगी।

हे भूले हुए प्राणियों जो तुम व्यर्थ ही झूठ का सहारा ले रहे हो वह छोड़ दो इसमे तुम्हे कोई लाभ नही मिलेगा।

जे नवीये नवणी खविये खवणी
जरिये जरणी करिये करणी सिख हुआ घर जाइये
जो अत्यन्त नम्र स्वभाव रखता है, क्षमाशील है, इंद्रियों पर नियंत्रण करने वाला है काम क्रोध लोभ मोह अहंकार वश में करने वाला है, जो अच्छे कार्य करता है मेरे बताए अनुसार कर्म करता है उसको मोक्ष प्राप्ति हो सकती है।

जे नवीये नवणी खविये खवणी जरिये जरणी  करिये करणी सिख हुआ घर जाइये अहनिश धर्म हुवै धर पुरो सुर की सभा समाइयै
जो अत्यन्त नम्र स्वभाव है, क्षमाशील है, काम,क्रोध,लोभ,मोह,अंहकार जिसके वश में है इंद्रियों पर नियंत्रण करने वाला है तथा सुकरत करता है वह बैकुंठ जा सकता है यही सबसे बड़ा धर्म है।

दया धरम थापले निज बाला ब्रह्मचारी

जो व्यक्ति दया और धर्म की पालन करता है जिस का ह्रदय बालक की तरह सरल है वही उस परमात्मा के स्वरूप का अनुभव कर सकता है।

जा-जा दया न मया ता-ता विकरम कया

जिस व्यक्ति में दया और ममता नही है वह बुरे कर्म ही करता है।

ले कुंची दरबान बुलाओ दिल ताला दिल खोवो
आपने अपने मन मे शत्रु -काम,क्रोध,लोभ,मोह,अंहकार,ईष्र्या आदि को क्यो छुपा रखा है।अपने विवेक तथा बुद्धि की चाबी से अपने दिलो दिमाग पर जड़े अज्ञानता रूपी ताले को खोलकर दूर भगाओ।

बासदर क्यू एक भणिजै जिहि के पवन पिराणों
आला सुखा मेल्हे नाही जिहि दिश करै मुहाणो
पापे गुन्हे विहे नाही रीस करै रीसाणो
बहुली दौरे लावण हारु भावै जाण म जाणो

क्रोध और अग्नि एक समान है।हवा अग्नि का प्राण है क्योंकि हवा के बिना अग्नि प्रज्वलित नही होती।
जिस प्रकार अग्नि के सम्पर्क में आकर हरि गीली व सुखी वस्तुएं (नष्ठ)जल कर राख हो जाती है।उसी प्रकार क्रोधी व्यक्ति दुसरो को हानि पहुचाने के साथ साथ स्वयं का भी नुकसान कर लेता है।क्योंकि वह क्रोध में लाभ हानि,न्याय-अन्याय,धर्म-अधर्म में भेद नही कर पाता,क्रोधी व्यक्ति क्रोध के कारण अपने पापों एव गुनाहों से डरता नही है।क्रोध व्यक्ति को नरकगामी बना देता है।चाहे आप इस बात को मानो या ना मानो।।

लोहा नीर किस विध तरीबा
उत्तम संग सनेहू
लौहे की बेड़ी का संयोग लकड़ी की नाव से होता है तो खिवैया उसे पार लगा देता है।उसी प्रकार अवगुणी व्यक्ति यदि गुणवान व्यक्ति की संगती करता है तो वह उसके गुणों का लाभ लेकर गुणवान बन सकता है।

देख अदेख सुण्या असुण्या क्षमा रूप तप कीजै

मनुष्य को कईं बार किसी अप्रिय दृश्य अप्रिय बातों से सामना करना पड़ता है।ऐसे समय मे व्यक्ति को अपने क्रोध पर नियंत्रण रखते हुए हिसा से बचना चाहिए कोई व्यक्ति यदि क्रोध में कड़वे वचन बोलता है तो उसे क्षमा कर देना चाहिए।

भरमी वादी अति अंहकारी करता गरब गुमानो
भृमित वाद विवादी, अभिमानी भी अपने अभिमान के कारण मृत्यु को प्राप्त हो गये, भृमित व्यक्ति ज्यादा अंहकार व गुमान करता है।ऐसा नही करना चाहिए।

गड़बड़ गाजा कांय बिवाजा कण बिण कूकस कांय लेणा
कांय बोलो मुख ताजो भरमी वादी अंहकारी लावत यारी पशुवा पड़ै भिरांती
हे लोगो आप अनर्थ बोल बोलकर क्यो गरजते हो और वाद विवाद करते हो,बिना अनाज के भूसा इकट्ठा क्यो करते हो।
मुख से अंहकार भरी बातें क्यो करते हो ?
इस प्रकार भरम में वाद विवाद में पड़कर तुम बहुत अंहकारी हो गये हो व सांसारिक विषय भोगों में आप पशुओं की तरह लगे हुए हो।

वाद विवाद फिटाकर पिराणी छाड़ों मनहठ मन का भाणो
हे लोगो आप वाद विवाद और बकवाद से दूर रहो और अपने मन के हठ एव अंहकार को छोड़ दो यह तुम्हे बर्बाद कर देगा।
*जे नर दावो छोड़्यो मेर चुकाई राह तैतीसो जाणी*
जिस मनुष्य ने अपनेपन ओर अंहकार को त्याग दिया है उसने मोक्ष मार्ग को जान लिया है।
जे कोई आवै हो हो करता आप जै हुइये पाणी
जाकै बहुती नवणी बहुती खवणी बहुती किरिया समाणी
जाकी निज निरमल काया जोय जोय देखो ले चढ़िये असमानी
यदि कोई व्यक्ति बहुत गुस्सा करता हुआ ,हो हो करता आता है तो अपने को पानी के समान ठंडा रहना चाहिए।
जो अत्यन्त नम्र, क्षमाशील तथा सभी प्रकार के कार्यो में धैर्य रखता है उसी की जीवात्मा को मोक्ष प्राप्ति होती है।
मुग्धा सेती यू टल चालो ज्यू खड़के पासी धनेरी
मूर्खो की संगती से उस प्रकार से बचकर चलना चाहिए जिस प्रकार धनेरी पक्षी पत्तो की आवाज सुनकर खतरा समझ कर उड़ जाता है।
उत्तम संग सुसंगू उत्तम रंग सुरंगू
गुणवान लोगो का संग करना ही उत्तम संगती है।
आत्मज्ञान का रंग ही उत्तम रंग है।
सु वचन बोल सदा सुहलाली
हमेशा अच्छे बोल ही बोलने चाहिए।

आचार विचार न जाणत स्वाद कीरत के रंग राता मुरखा मनहठ मरै ते पार गिराये कित उतरै
जो लोग भरम में पड़कर वाद विवाद में भूले हुए हैं वे उत्तम आचार विचार का फल नही जानते हैं।
सांसारिक मान बड़ाई के लिए मनहठी एव मूर्ख लोग मरते रहते हैं उनका उद्धार कैसे होगा ?

अल्पबुद्धि अनुसार शब्दार्थ किये हैं जिनमे त्रुटियां होना स्वभाविक है, अतः आप क्षमा दान प्रदान करें।
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Sanjeev Moga
Sanjeev Moga
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